Thursday, June 12, 2008

माँ

माँ
बेसन की सोंधी रोटी परखट्टी चटनी जैसी माँयाद आती है चौका-बासनचिमटा फुकनी जैसी माँ
बाँस की खुर्री खाट के ऊपरहर आहट पर कान धरेआधी सोई आधी जागीथकी दोपहरी जैसी माँचिड़ियों के चहकार में गुँजेराधा-मोहन अली-अलीमुर्ग़े की आवाज़ से खुलतीघर की कुंडी जैसी माँ
बिवी, बेटी, बहन, पड़ोसनथोड़ी थोड़ी सी सब मेंदिन भर इक रस्सी के ऊपरचलती नटनी जैसी माँ
बाँट के अपना चेहरा, माथा,आँखें जाने कहाँ गईफटे पूराने इक अलबम मेंचंचल लड़की जैसी माँ
बेसन की सोंधी रोटी परखट्टी चटनी जैसी माँयाद आती है चौका-बासनचिमटा फुकनी जैसी माँ
बाँस की खुर्री खाट के ऊपरहर आहट पर कान धरेआधी सोई आधी जागीथकी दोपहरी जैसी माँचिड़ियों के चहकार में गुँजेराधा-मोहन अली-अलीमुर्ग़े की आवाज़ से खुलतीघर की कुंडी जैसी माँ
बिवी, बेटी, बहन, पड़ोसनथोड़ी थोड़ी सी सब मेंदिन भर इक रस्सी के ऊपरचलती नटनी जैसी माँ
बाँट के अपना चेहरा, माथा,आँखें जाने कहाँ गईफटे पूराने इक अलबम मेंचंचल लड़की जैसी माँ

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