Tuesday, June 17, 2008

साई राम

रात मुझे इक सपना आया, सपने में कोई अपना आया,मेरे तन का चाम हटा कर ,मुझको मेरा अंदर दिखलाया,देख मुझे विश्वास ना आया, इतना कुछ मुझीमें समाया ,इस साफ चमङी के नीचे, इतना कूङा करकट समाया,जब यह कूङा साफ किया तो, एक नन्ही किरण ने मुझे चौंकाया,इतनी सारी परतों के नीचे, ये कैसा चमत्कार था छाया,मेरे अंदर सांई था बैठा, मुझे ही नज़र ना आया,कहाँ कहाँ ढूंढा मैने, बस अपने ही अंदर ना झांका,पश्ताप से भर गई मैं, मैने यूँ ही समय गवाया,सारी जगह ढूंढा जिसे मैने, वो था मुझमें ही समाया~~~जय सांई राम~~~

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